जस्ते के उर्वरकों में जिंक सल्फेट और जिंक क्लोराइड प्रमुख हैं.
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इसलिए इसे नीला थोथा, जिंक क्लोराइड या अन्य कीटरक्षक रसायनों से उपचारित करना जरूरी है।
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इसलिए इसे नीला थोथा, जिंक क्लोराइड या अन्य कीटरक्षक रसायनों से उपचारित करना जरूरी है।
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इसलिए इसे नीला थोथा, जिंक क्लोराइड या अन्य कीटरक्षक रसायनों से उपचारित करना जरूरी है।
5.
होली के जिन रासायनिक रंगों को जिंक क्लोराइड से तैयार किया जाता है उनके त्वचा के संपर्क में आने पर फोड़े (अलसर) हो सकते हैं।
6.
जिंक क्लोराइड, कैल्सियम क्लोराइड तथा पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड और अनेक विभिन्न लवण इतने हाइड्रोस्कोपिक होते हैं कि वे खुद के द्वारा अवशोषित किए गये जल में घुल भी जाते हैं।
7.
यदि होली का रंग डालते समय संयोग से जिंक क्लोराइड की कुछ मात्रा मुँह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाए तो शरीर के अंदर नाजुक अंगों की महीन झिल्लियाँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।